Menu
blogid : 11793 postid : 6

बचपन के दिन-रैन…!!

Indradhanush
Indradhanush
  • 52 Posts
  • 173 Comments

बचपन के दिन-रैन,
हर गम से कितना बेगाना था!
खुशियों से भीगा सावन,
बड़ा ही सुहाना था|
रिमझिम बारिश का पानी,
कागज़ की कश्ती कितना अज़ीज था!
भागते थे जब तितलियों के पीछे,
वो धूप बड़ा हीं रंगीन था|
फूल तोड़कर मुस्कुराना फूलों सा,
वो मुसकान कितना मासूम था!
सुनकर दादी-नानी की कहानी,
ख्वाब परियों के देखना बड़ा ही हसीन था|
काश! लौट आते वो बचपन के दिन-रैन,
जब हँसीं के लिए नहीं ढूंढना कोई बहाना था|

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply