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इस बार न जाने सावन का आलम क्या होगा?
इतना तरसाने के बाद बारिश का आलम क्या होगा?
लगी हैं सबकी निगाहें नीले आसमां पर,
जब छायेंगी काली-काली घटायें घनघोर,
तूफानी बारिश में गिरेगी बिजली जमीं पर,
तब पानी में आग लग जाने का आलम क्या होगा?
हर मुरझाया चेहरा खिल उठेगा फूलों की तरह,
पेड़ों के पत्ते-पत्ते,बूटे-बूटे पर आएगा,
जब मोहब्बत के रंग सा निखार,
तब पपीहे की तान और कोयल के गीतों का आलम क्या होगा?
ठंडी-ठंडी हवाओं से फैलेगी मदहोशी,
वादी में फूलों की भीनी-भीनी खुशबू बिखरेगी,
जब धानी चुनर ओढ़कर धरती इठलायेगी,
तब हरयाली से सजे दिलकश समां का आलम क्या होगा?
खूबसूरत ताल में गिरते बूंदों की बौछार,
अपनी पलकों में कैद कर लेने को मैं हूँ बेक़रार,
छम-छम घुंघरू बजाती बूंदों की झनकार,
जब छेड़ जायेंगे मेरे दिल के तार,
तब मेरे तसव्वुर से भी हसीन फिजाओं का आलम क्या होगा?
इस बार न जाने सावन का आलम क्या होगा?
इतना तरसाने के बाद बारिश का आलम क्या होगा?
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