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“माँ दुर्गा का आह्वान”

Indradhanush
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सभी पाठकों को नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं!

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नवरात्रि का पर्व पूरे भारतवर्ष में श्रद्धा और उल्लास के साथ दो बार मनाया जाता है- एक चैत्र मास में और दूसरा अश्विन मास में | अश्विन मास की नवरात्रि का विशेष महत्व है, माँ दुर्गा की पूजा-अर्चना एवं व्रत नौ दिनों तक की जाती है |

दुर्गा शब्द का अर्थ–  द का अर्थ है जो स्थिर है, रुका हुआ है और ग का अर्थ है जिसमें गति है जो चलता है | उ का अर्थ है स्थिर और गतिमान के बीच का संतुलन और अ का अर्थ है अजन्मे ईश्वर की शक्ति, यानि दुर्गा का अर्थ हुआ ईश्वर की वह शक्ति जो स्थिर भी है, गतिमान भी है और संतुलन में भी है उसे दुर्गा कहते हैं |
दु शब्द का अर्थ अंधकार भी होता है और कठिनाई भी, इसका एक अर्थ बुराई और कष्ट भी होता है | ग का अर्थ ईश्वरीय ज्योति यानी प्रकाश तथा दुखों, पापों और बुराइयों को हरने वाला होता है | बीच में रेफ यानी र का अर्थ दुखों से आनंद की ओर ले जाने वाली शक्ति |

भगवान राम द्वारा नवरात्र पूजा–   जब श्री राम ने रावण का वध करने की प्रतिज्ञा ली थी तो उनके मन में चिंता थी की रावण अजेय बली था और उसका वध करना टेढ़ी खीर थी | नारद जी ने उन्हें रावण पर विजय प्राप्त करने के लिए नवरात्र के व्रत पूजन की सलाह दी | उनके परामर्श से ही उन्होंने यह व्रत अश्विन मास में बहुत श्रद्धा और निष्ठापूर्वक किया | नवरात्रिय अष्टमी की मध्य रात्रि को माँ दुर्गा ने प्रकट होकर उन्हें विजय का वरदान दिया, तभी वे रावण का वध करने में सफल हो सके |

देश में बढ़ते रक्तबीज– देश के कोने-कोने में यह पर्व श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जाता है, सभी माँ दुर्गा की पूजा-अर्चना करते हैं | आज देश में भ्रष्ट, अत्याचारी नेता भी आपमें श्रद्धा और आराधना करते दिखते हैं, जिन्होंने संस्कृति, नैतिकता और धर्म की परिभाषा ही बदल दी | इस आराधना को “मुख में राम बगल में छुरी” ही कहा जा सकता है | भ्रष्ट और अत्याचारी नेता रक्तबीज की तरह बढते ही जा रहे हैं | सारे काले कारनामे करके ये पूजा-पाठ का ढोंग रचाते हैं, देशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं और मंगलकामनाएं देते हैं, क्या इनके पास ह्रदय होता भी है जो इनकी कामनाएं शुभ मानी जाएँ? सारे अमंगल कार्य इनके कर-कमलों से होते हैं इनकी मनोकामनाएं मंगलमय कैसे हो सकती हैं? जनता पर सारे अन्याय और अत्याचार इनकी ही कृपा से होते हैं, जो पीड़ा देते हैं वो पीड़ा हरने का दिखावा करते हैं | माता की भक्ति का दिखावा करके लोगों को अपना भक्त बनाते हैं, खुद को सर्वशक्तिमान समझते हैं और आपकी शक्ति का मान नहीं रखते | अगर इन्हें आपका भय होता तो ये कुछ भी गलत करने से पहले सौ बार सोचते कि कोई देखे न देखे आपकी दृष्टि से कुछ भी नहीं छुपता |

माँ का आह्वान–  इतिहास इस बात का साक्षी है माँ कि जब-जब धरती पर पाप बढ़ा आपने अवतरित होकर पापियों का संहार किया | ऐसा भी नहीं है कि इस धरती पर नेकी और सच्चाई की राह पर चलने वाले नहीं बचे, उनकी राह में बाधाएं बहुत हैं | जो थोड़े से लोग इस देश को पापियों से मुक्ति दिलाना चाहते हैं उनकी आवाज दबा दी जाती है, सामर्थ्य भी इतनी नहीं की इनके पाप के विशाल साम्राज्य को मिटा सकें | देश में ऐसे लोगों की भी कमी नहीं जो इस संसार की हर सुख-सुविधा का लाभ लेने के लिए पापी नेताओं की छत्रछाया में जाकर उनके हितैषी बनकर उनके पाप के साम्राज्य को बढ़ाते हैं | इन नेताओं के काले कारनामों की कलई कई बार खुलती है परन्तु ये हर बार अपने ओहदे और पैसे के बल पर हर मुद्दे, हर विरोध की आवाज को दबा देते हैं | आज आपके सच्चे भक्तों पर ऐसी विपदा आ पड़ी है कि उसके चारों तरफ के रास्ते बंद हैं | वो हताशा और निराशा के घेरे में आकर ये सोचने को विवश है कि हर बार जब पापियों का अंत करने को आप अवतरित हुईं तो आज क्यूँ नहीं प्रकट हो रही? क्या आपको अपने उन संतानों, उन भक्तों कि पुकार विचलित नहीं करती? आप तो शक्ति, सच्चाई और न्याय का प्रतीक हैं अपनी कृपादृष्टि अपने भक्तों पर डालिए, आवश्यकता आन पड़ी है अपने भक्तों की पुकार सुनिए फिर से कोई चमत्कार कीजिये या तो सभी पापियों को सद्बुद्धि देकर सत्मार्ग पर ले आइये या किसी भी रूप में फिर से अवतरित होकर इस देश में बढ़ रहे रावणों और रक्तबीजों का संहार कीजिये |

आइये हम सब पूर्ण समर्पण और श्रद्धा से नवरात्र की पूजा करें और अपने देश के उज्जवल भविष्य की कामना करें |

“जय माता दी!”

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