Menu
blogid : 11793 postid : 21

करवाचौथ: सुख-सौभाग्य का पर्व

Indradhanush
Indradhanush
  • 52 Posts
  • 173 Comments

कार्तिक मास की कृष्णपक्ष की चतुर्थी को करवाचौथ का व्रत सभी सुहागिन स्त्रियाँ अपने पति की दीर्घायु के लिए  रखती हैं| इस दिन निर्जल रहकर रात में चन्द्रमा को ‘ ॐ श्रां श्रीं श्रौ सः चन्द्रमसे नमः’ मंत्र के साथ अर्ध्य देकर व्रत तोड़ने का विधान है| संध्या समय पहले श्री गणेश जी की कथा फिर करवा चौथ की कथा सुनी जाती है| पूरी नियमनिष्ठा के साथ उपवास रहती हैं मंगल कामना करती हैं मगर ये उपवास तभी सार्थक हो सकता है जब वो अपने पति का पूरे मन से सम्मान करें, उन्हें अच्छी तरह समझें| महज प्रथा निभाने के लिए अगर व्रत रखती हैं तो ऐसे व्रत का कोई फायदा नहीं| ऐसा भी नहीं कि पुरुष व्रत रखते ही नहीं व्रत रहते हैं पर खास तौर पर पत्नी के लिए नहीं| सारे व्रत-उपवास स्त्रियों के हिस्से में ही क्यूँ आते हैं, कोई व्रत ऐसा क्यूँ नहीं है कि पति पत्नी के लिए करें कम-से-कम साल में एकाध व्रत ही ऐसा हो जो पत्नी की भलाई की कामना करते हुए रखें| ये शिकायत कुछ आधुनिकता की दौड़ में शामिल महिलाओं को है, हर बात में समानाधिकार चाहने की वजह से वो इस बात में भी बराबरी करना चाहती हैं| हमारी धार्मिक परंपरा ही ऐसी है पति के लिए किसी उपवास का रिवाज नहीं और मुझे नहीं लगता कि इसमें कुछ भी गलत है| कुछ गुण स्त्रियोचित होते हैं और कुछ पुरुषोचित एक स्त्री पुरुषों के सारे गुण नहीं अपना सकती वहीँ एक पुरुष में स्त्रियों के सारे गुण नहीं आ सकते| जो जिसका गुण और खासियत होनी  चाहिए उसी को अच्छी लगती है, इसके विपरीत करना प्रकृति के नियमों को बदलना होगा और जिसका परिणाम कभी भी सुखद नहीं होता| आज ज्यादातर पतियों को ये शिकायत होती है कि शादी के पहले वो सुखी थे, उनकी पत्नी उन्हें नहीं समझती, कहीं न कहीं उनकी शिकायत सही है जिन स्त्रियोचित गुणों को पुरुष पसंद करते है वो उनसे दूर होती जा रही हैं| मुझे जो एक सबसे अहम् बात समझ में आती है वो ये है कि शादी के कुछ समय के बाद वे एक दूसरे कि खामियों को ज्यादा देखने लगते है और खूबियों को नजरंदाज करने लगते हैं और यहीं से विश्वास और सम्मान एक दूसरे के प्रति कम होने लगता है| जिन्होंने एक-दूसरे की खामियों को भी खूबियों के जितनी ही ख़ुशी से अपना लिया उनके रिश्ते में हमेशा ताजगी रहेगी| रिश्ते में कभी दूरी न आये कैसे?  कुछ महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर नजर डालें:-
बिना सोचे-समझे बोलना स्त्रियों का व्यवहार शालीन हो, दिखावटी स्वभाव या ओवर एक्टिंग को पुरुष बिलकुल पसंद नहीं करते |किसी बात को बढ़ा-चढ़ा कर बताना, इधर की उधर करना, बिना सोचे-समझे बोलना और जिद करना पुरुषों के अन्दर खीज पैदा करती है इसलिए इन बातों से दूर रहें|
शिकायतें करना- पुरुषों को शिकायतें सुनना पसंद नहीं होता चाहे किसी की भी शिकायत हो| एक बात ये भी देखने में आती है कि ज्यादातर स्त्रियाँ अपने पतियों की शिकायत करती हैं, निजी बातों को आस-पड़ोस में बताने के साथ ही अपने पति की तुलना दूसरे पतियों से करती हैं ऐसी आदतें उन्हें गुस्सा दिलाती हैं जबकि ऐसा बहुत कम ही होता है की पुरुष अपनी निजी बातें बताएं या पत्नी की शिकायत करें|
दुखी होना-छोटी-छोटी बातों पर महिलाओं का दुखी होना, आंसू बहाना, हर छोटी बात के लिए शिकायत करना और अपनी बात मनवाने के लिए दबाव डालना पुरुष सख्त ना पसंद करते हैं| कोई गंभीर समस्या हो तभी उनसे शिकायत करें|
ईर्ष्यालु होना- पुरुषों में इर्ष्या की भावना नहीं होती पर स्त्रियाँ ज्यादातर ईर्ष्यालु होती हैं, रिश्तेदारों के प्रति बदले की भावना, उनमें फूट डालना कोई भी पति पसंद नहीं करते| जरा सोचिये जब स्त्रियाँ अपने मायके के खिलाफ एक शब्द भी सुनना पसंद नहीं करती तो पुरुष कैसे करें| अगर कोई उनकी पत्नी की शिकायत करे या उसके खिलाफ कुछ कहे तो भी उन्हें उतना ही बुरा लगता है|
समय की पाबंद न होना अगर स्त्री समय की पाबंद नहीं है तो पुरुषों का सही मूड भी ख़राब हो जाता है| देर तक सोना, नहाना, खाना बनाना, तैयार होना, टीवी देखना( खास तौर पर सीरियल ), शॉपिंग में टाइम लगाना, मोल भाव करना आदि बिलकुल पसंद नहीं होता| इन बातों से बचें|
स्वार्थी होना- स्त्री का स्वार्थी होना यानि खुद के बारे में ज्यादा सोचना, हमेशा अपनी मर्जी चलाना, अपने मूड को ही अहमियत देना आदि नागवार होता है| स्त्रियों का सबका ख्याल रखना उन्हें पसंद होता है इसलिए अपने से ज्यादा सामने वाले को अहमियत दें|
लड़ाई-झगड़ा- पति पत्नी में नोंक-झोंक स्वाभाविक है मगर झगडे को बढ़ाना ठीक नहीं| झगडे के बाद मायके जाने की धमकी देना, रिश्ते को खत्म करने की बात कहना, अपशब्द का प्रयोग करना, बीती बातों के लिए कोसना आदि ठीक नहीं| अपनी भावनाओं के बारे में खुलकर कहें, अगर गुस्से में कुछ गलत कह दिया हो तो माफ़ी मांग लें और उन बातों को भूलने की कोशिश करें जो झगडे की वजह बनी|
लापरवाही पत्नियों का जरूरी कागजात, चाभी या सामान संभालकर ना रखना| कोई जरूरी बात या मैसेज बताना भूल जाना उनके कार्यों के प्रति लापरवाही पतियों को ना पसंद होता है| ये काबिले तारीफ है कि आज की स्त्रियाँ घर बाहर दोनों की जिम्मेदारी संभाल रही हैं, आत्मनिर्भर हैं, पर पति अगर कुछ बातों के लिए उन पर निर्भर हैं तो खुद  को उनके बराबर मानकर उनके कार्यों के प्रति लापरवाही ठीक नहीं| पत्नियाँ भी बहुत सी बातों के लिए पतिओं पर निर्भर रहती हैं| सच तो यही है कि एक दूसरे पर निर्भरता, एक दूसरे की जरूरत ही दाम्पत्य जीवन का आधार है|
स्पेस न देना ज्यादातर पत्नियाँ पतियों के पल-पल का हिसाब रखना चाहती हैं, ये ठीक नहीं रिश्ता कितना भी करीबी क्यों न हो थोड़ी सी दूरी भी जरूरी है|हर पुरुष पति,भाई,बेटा होने के पहले एक व्यक्ति भी है, अगर वह दिन भर में कुछ वक्त सिर्फ अपने लिए चाहता है तो मुझे नहीं लगता कि इसमें कुछ भी गलत है| स्पेस देने का मतलब खुली आज़ादी कतई नहीं है, दरअसल हर इंसान किसी को पूरी तरह अपना मानने के बाद भी थोड़ी सी जगह अपने लिए बचा कर रखना चाहता है| इसमें वह अपनी रूचि के कार्य करना चाहता है, घूमना चाहता है और बहुत सारी बातों पर विचार करता है| बदलते वक्त के साथ पत्नी अपनी सोंच को विस्तृत रखें और पति पर बेवजह शक ना करें क्योंकि विश्वास विश्वास को जोड़ता है और अविश्वास विश्वास को तोड़ता है|

से प्रयास और खास बातों का ख्याल रखकर जीवन को खुशहाल बनया जा सकता है, फिर हर करवा चौथ सुख- सौभाग्य लेकर आएगा, ढेरों खुशियाँ लेकर आएगा|उपयोग करें|
कोमलता, सहशीलता, स्नेहिल व्यवहार और सामंजस्य स्थापित करने को स्त्री अपनी कमजोरी ना समझें बल्कि ये तो उनकी विशेषता है| इन गुणों से दूर होकर खुद को मजबूत साबित करने की जरूरत नहीं है, अपने कठोर इरादों को अत्याचार,प्रतारना और अन्याय के खिलाफ अडिग रहने में उपयोग करें|
इसके साथ ही कुछ बातों का पतियों को भी ख्याल रखना जरूरी है वो पत्नियों को खुद से कमतर ना आंकें, उनकी सही और समझदारी की बातों को भी सिर्फ इसलिए मानने से इंकार ना करें कि ऐसा करने से उनका अहम प्रभावित होता है क्योंकि पति अक्सर खुद को सुपीरियर समझते हैं और उन्हें ये लगता है कि पत्नी की बात मानने पर उन्हें कमतर ना समझ लिया जाये, कहीं उनकी जगहंसाई ना हो| बदलते वक़्त के साथ सोंच को बदलने की जरूरत है और इसमें कोई दो राय नहीं कि बहुत से पुरुषों का वर्ताव बदला है, पहले की अपेक्षा उनका वर्ताव ज्यादा सहयोगपूर्ण हो गया है| कुछ और जरूरी बातों पर ध्यान देने कि जरूरत है पत्नी की बातों को ध्यान से सुने, समझने की कोशिश करें लोग क्या कहेंगे की जगह आपको जो सही लगे वही करें| पत्नी से सलाह मशविरा करने में कोई बुराई ना समझें अगर वो किसी मसले पर आपसे बेहतर हल निकल रही है तो इसके लिए कोई गिल्ट फील ना करें बल्कि तवज्जो दें और मान लें फायदा ही होगा नुकसान नहीं| किसी भी बात से अगर पत्नी से असहमति हो तो स्पष्ट बातचीत से मसले का हल निकालें| पति भी पत्नी को थोडा स्पेस दें, उन्हें समझें और साथ ही विश्वास करें अपनत्व और सहयोगपूर्ण वर्ताव ही रिश्ते को अटूट डोर में हमेशा के लिए बांधे रखेगा| थोड़े से प्रयास और खास बातों का ख्याल रखकर जीवन को खुशहाल बनाया सकता है, फिर हर करवाचौथ सुख-सौभाग्य लेकर आएगा, ढेरों खुशियाँ लेकर आएगा|

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply