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आस की एक नयी किरण

Indradhanush
Indradhanush
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उसका सौन्दर्य मुझे प्रभावित करता, उसकी हर बात मुझे अच्छी लगती | बचपन से ही मेरे मन में उसके लिए प्यार पलने लगा और गुजरते वक़्त के साथ उसके प्यार की शिकस्त मजबूत होती गई | मैं जब भी उसके बारे में सोचती तो मन कल्पनाओं की उड़ान भरने लगता | पर्वतों, बादलों, झरनों, नदियों, फूलों, हरी-भरी वादियों का साथ मुझे भाता और सुहावने मौसम उससे प्यार का अहसास कराते, सभी मुझे प्यारे लगते, अपने से लगते | उसकी गोदी में मुझे अद्भुत सुखद अनुभूति होती, खुद को महफूज़ महसूस करती, मै भी उसके लिए बहुत कुछ करने के सपने संजोने लगी | मेरा देश, मेरी भारत माँ ही मेरा पहला प्यार है जिसके गीत मैं बचपन से गाती थी- “जहाँ डाल-डाल पर चिड़ियाँ करती है बसेरा वो भारत देश है मेरा” और “सारे जहां से अच्छा हिन्दुस्तां हमारा हम बुलबुलें हैं इसकी ये गुलसितां हमारा |” यह गीत गाते हुए  मैं भावुक हो जाती थी और सुनते हुए भाव-विभोर | अब चाहकर भी ये गीत गाने को दिल नहीं करता | अब जब १५ अगस्त और २६ जनवरी को ये गीत सुनाई पड़ता है तो यूँ महसूस होता है जैसे जख्मों से भरा सीना है गाते हैं ख़ुशी के गीत मगर |

भारत माँ का आँचल उसकी मासूम बेटियों के खून से बदरंग हो गया है, वो कहीं भी महफूज़ नहीं हैं चारों तरफ आतंक का साया फैला है | आतंकी, अत्याचारी और वहशी दरिंदों ने अमानवीय व्यवहार की सारी हदें पार कर दी हैं | उसके अत्याचारी और अपराधी बेटों ने उसकी कोख को कलंकित कर दिया है | कुछ बेटियाँ भी ऐसी हैं जो अपने देश की सभ्यता, संस्कृति और संस्कारों की तिलांजलि देकर किसी के भी भावनाओं का खून कर देती हैं, किसी भी गुनाह का उन्हें पछतावा नहीं होता, किसी भी कीमत पर उन्हें सिर्फ और सिर्फ पैसा और शोहरत पा लेने की चाह है | भारत माँ की आत्मा तब इतनी दुखी नहीं थी जब वह अंग्रेजों की गुलाम थी, आज वो ज्यादा दुखी है क्योंकि उसके अपने ही बेटे और बेटियों ने उसकी आत्मा को छलनी कर दिया है |

दिल्ली हिन्दुस्तान का दिल है और इस दिल पर एक के बाद एक इतने जख्म मिलते जा रहे हैं कि अब तो गिनती भी मुश्किल है | दिल ही नहीं माँ का पूरा बदन भी जख्मों से भरा है और हर जख्म से रिसते लहू की कई दर्द भरी कहानियां हैं | उसकी बदसूरती और बदहाली देखकर मेरा प्यार दम तोड़ने को है, दिल चाहता है कि मै कहूँ कि मुझे प्यार नहीं है, ये तो मेरे सपनों का भारत नहीं है पर कैसे मैं कहूँ कि मुझे प्यार नहीं है क्योंकि जब भी मैं  ऐसा सोंचती हूँ मेरे मन में आस की एक किरण बिजली की तरह कौंध जाती है | अत्याचार, अपराध और अमानवीय व्यवहार से घना अँधेरा छाया है मगर ऐसी तो कोई रात नहीं जिसकी सुबह न आये इस काली रात की भी सुबह होगी और नयी सुबह आशा की नयी किरण लेकर आएगी | उस नई सुबह को लाने के लिए सभी देश प्रेमियों को एकजुट होकर प्रयत्न करना होगा | जिस देश के पंच तत्वों- जल, वायु, अग्नि, धरती और आकाश से हमारा अस्तित्व है उसके अस्तित्व को बचाने के लिए संकल्प करें | जब हम कुछ सकारात्मक नहीं कर पाते तो समय और युग को दोष देने लगते हैं और उसे कलयुग का नाम देते हैं, भ्रष्टाचार की वजह भ्रष्टयुग को मानते हैं | हम सब स्वार्थ से ऊपर उठकर अपना कर्म करें तो युग स्वतः बदल जायेगा और सच की राह पर चलें तो सतयुग जरुर आयेगा |

सभी देशवासी स्वतंत्रता का सही अर्थ समझें राष्ट्रीय चरित्र के मूल्य को समझें और देश से भ्रष्टाचार, कालाबाजारी, रिश्वतखोरी, मंहगाई, आन्दोलन, तोड़-फोड़, घेराव आदि का त्याग करें | उदारता, राष्ट्रीय एकता और सर्व धर्म समभाव जैसे गुणों का विकास करें | हिंसक, भ्रष्टाचारी, अत्याचारी व्यक्तियों का राजनीति में हस्तक्षेप न होने दें | अपने देश का नेता ऐसा चुनें जो देशहित को सर्वोपरि माने, कर्तव्यपरायण होकर देश के हितों की रक्षा करे |

शुरुआत अपने घर से करें, स्वयं अपने कर्तव्यों और नैतिक मूल्यों का पालन ईमानदारी से करें तथा अपने बच्चों को अपने देश की सभ्यता, संस्कृति तथा नैतिक मूल्यों का सम्मान करना सिखाएं | अच्छे-बुरे का फर्क, सही गलत की पहचान करना सिखाएं | अपने परिवार के हर सदस्य को महिला और पुरुष दोनों का सम्मान करना सिखाएं साथ ही जरूरतमंदों की मदद करना, देशहित में कदम बढ़ाना और स्वदेश प्रेम का महत्व समझाएं |

“जो भरा नहीं है भावों से, जिसमें बहती रसधार नहीं | वह ह्रदय नहीं पत्थर है, जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं ||”

हमारा परिवार सुसंस्कृत होगा तो समाज सुसंस्कृत होगा और जब समाज सुसंस्कृत होगा तो भारत माँ का स्वरुप बदलेगा, उसका चेहरा गर्व से दमकेगा | तब हर कोई बड़े शान से ये गीत दोहराएगा- “सारे जहां से अच्छा हिन्दुस्तां हमारा |”

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