Indradhanush
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हे त्रिपुरारी
तीनों लोकों के स्वामी
कैसा हो गया
ये संसार निराश
एक तुम्ही हो आस
त्रिनेत्र खोलो
पाप अत्याचार से
त्रस्त संसार
स्वयं पाप मिटाओ
या तो शक्ति को भेजो
चहूँ ओर है
निराशा का साम्राज्य
आओ हरने
कष्ट और निराशा
या लाओ प्रलय को
– सुधा जयसवाल
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