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माँ! तुम्हारी याद सताती है

Indradhanush
Indradhanush
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मम्मी तुम बचपन में मुझे सुलाते समय अक्सर ये गीत सुनाती थी….”महलों का राजा मिला कि रानी बेटी राज करे ख़ुशी ख़ुशी कर दो विदा कि रानी बेटी राज करे……” आज भी मेरे मन में तुम्हारी मीठी आवाज में इस गीत की धुन गूंजती रहती है। लोग कहते हैं कि जब नए रिश्ते बनते हैं तो पुराने रिश्ते पीछे छूट जाते हैं और उनकी जगह नए रिश्ते ले लेते हैं मगर मुझे तो ऐसा कभी भी महसूस नहीं हुआ। नए रिश्ते बनने के साथ ही दिल का दायरा भी बड़ा होता जाता है। हर रिश्ते की अपनी अहमियत होती है और कोई भी किसी की जगह नहीं ले सकता। तुम्हारी और पापा की जगह तो कोई भी नहीं ले सकता, ईश्वर भी नहीं क्योंकि उन्हें सिर्फ महसूस ही किया है कभी देखा नहीं। आँखें खोलते ही तुम्हें देखा, तुम्हें ही महसूस किया और बेशर्त प्यार पाया। सुना था कि जगह की दूरी दिलों के बीच दूरी ले आती है मगर मुझे तो ऐसा नहीं लगता। जो दिल से जुड़े होते हैं वो हमेशा पास होते हैं जगह की दूरी रिश्तों में दूरी नहीं ला सकती मगर जो दिल से दूर होते हैं वो पास रहकर भी दूर ही होते हैं। ऐसा तो एक भी दिन नहीं निकला जब सुबह जागते ही और रात को सोते समय तुम्हें और पापा को याद न किया हो। हर पल, हर छोटी-बड़ी बात में तुम्हारा प्यार याद आता है। नाज होता है मुझे खुद पर कि मैं तुम्हारी बेटी हूँ। मम्मी तुम मेरा अभिमान हो, तुम ही मेरे अस्तित्व की पहचान हो, मेरी सहेली और मेरी प्रेरणा हो।
“माँ जब तुम्हारी याद सताती है,
रात मेरी आँखों में कट जाती है।”

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